भिण्ड। लघु उद्योग सिर्फ स्वयं को विकसित करने का साधन नहीं है बल्कि यह एक ऐसा उद्यम है जिसके द्वारा हम अधिक साधन के बिना भी छोटा व्यवसाय प्रारंभ कर सकते हैं। लघु उद्योग से न सिर्फ हम स्वयं के लिए आत्मनिर्भरता का मार्ग खोलते हैं बल्कि उससे भी अधिक महत्वपूर्ण यह है कि लघु उद्योग से अन्य जरूरतमंद एवं गरीब तबके के लोगों को रोजगार देकर उन्हें भी आत्मनिर्भर बना सकते हैं। यह एक ऐसा साधन है इसके द्वारा हम बिना अधिक पूंजी के एवं बिना सरकार की मदद के कार्य प्रारंभ कर सकते हैं। उक्त विचार भारत विकास परिषद शाखा जागृति की पूर्व अध्यक्ष आभा जैन ने शुक्रवार को सदर बाजार स्थित अपने निवास पर व्यक्त किए। दरअसल 30 अगस्त को राष्ट्रीय लघु उद्योग दिवस के उपलक्ष्य में शाखा जागृति द्वारा परिचर्चा का आयोजन किया गया था।
भारत विकास परिषद शाखा जागृति के द्वारा चलाई जा रही मासिक वैचारिक मंथन एवं परिचर्चा के क्रम में 30 अगस्त 2024 को राष्ट्रीय लघु उद्योग दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में शाखा के सदस्यों ने अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रांतीय संस्कार प्रमुख श्रवण कुमार पाठक ने की।
कार्यक्रम का विधिवत प्रारंभ मां भारती एवं स्वामी विवेकानंद के चित्र पर दीप प्रज्वलन से हुआ। विषय प्रवर्तन करते हुए डॉ आलोक त्रिपाठी ने बताया कि लघु उद्योग के माध्यम से घर में रहने वाली महिलाओं को सशक्त किया जा सकता है। शाखा संरक्षक डॉ उमा शर्मा ने घर में कपड़े के थैले बनाने के लिए महिलाओं को सिलाई मशीन उपलब्ध कराने की बात कही। शाखा अध्यक्ष उषा नगरिया ने सभी का स्वागत करते हुए बताया कि लघु उद्योग दिवस का प्रारंभ 2001 से संपूर्ण भारतवर्ष में घर-घर में आत्मनिर्भरता के लिए इसका प्रारंभ किया गया था।
शाखा सदस्य अनामिका ताम्रकार ने कहा कि हम ऑनलाइन और सोशल मीडिया के माध्यम से लघु उद्योग के कार्यक्रमों को जनता के बीच पहुंचा सकते हैं।
इसी क्रम में शाखा सदस्य गगन शर्मा ने बताया कि लघु एवं कुटीर उद्योग समाज को जोड़ने का भी कार्य करता है इससे अमीर और गरीब की खाई कम होती है।
प्रसिद्ध व्यवसाई एवं शाखा सदस्य महेंद्र जैन ने बताया कि भिंड के कॉटन जीन में निर्मित खेस चादर पूरे भारत में प्रचलित थी। स्थापित लघु उद्योग से निर्मित वस्तुओं का उपयोग चलता रहना चाहिए।
जन अभियान परिषद के जिला समन्वयक शिव प्रताप सिंह भदोरिया ने बताया हमें नर्सरी एवं वर्मी कंपोस्ट खाद के निर्माण पर जोड़ देना होगा इन क्षेत्रों में अपार संभावनाएं हैं। हमें अपने क्षेत्र में स्थानीय आवश्यकता उत्पन्न करनी होगी तभी लघु उद्योग पनप सकेगे। शहर के प्रबुद्ध नगर व्यापारी विनय जैन ने अपने पिताजी वीरसेन जैन का उदाहरण देते हुए बताया कि वे बरोही से घी के कनस्तर लाकर भिंड में व्यापार करते थे। धीरे-धीरे उनकी मेहनत से इस व्यवसाय में अनेक लोगों को रोजगार मिला और ये कार्य बढ़ता ही चला गया।
राष्ट्रीय लघु उद्योग दिवस पर आयोजित विचारों की संख्या में ओमप्रकाश ताम्रकार ने बताया की फोटोग्राफी का व्यवसाय भी लघु स्तर पर शुरू हो सकता है जिसमें मात्र मोबाइल कैमरा एवं कुछ अन्य उपकरण के माध्यम से कलात्मक फोटो खींचकर मुकाम हासिल किया जा सकता है। प्रसिद्ध गल्ला व्यवसाई कैलाश नगरिया ने बताया कि बैंक के माध्यम से लघु उद्योग के लिए मुद्रा लोन एवं प्रधानमंत्री कौशल योजना के तहत विभिन्न योजनाओं पर अमल करके कार्य को बढ़ाया जा सकता है।
साहित्यकार पवन जैन ने प्रेरक कविता ‘आपका पसीना आपका श्रंगार होता है, सफलता का रास्ता सरल नहीं कठिन होता है’ के माध्यम से सभी का मनमोहित किया।
कार्यक्रम में आभार प्रदर्शन परिषद के नगर समन्वयक धीरज शुक्ला ने किया। इस अवसर पर शाखा सचिव सीमा त्रिपाठी, अरुणा पाठक, संगीता कौशल, मनोज दीक्षित, हेमू जैन, शारदा जैन एवं नगर के अन्य गणमान्य जन उपस्थित रहे।
