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February 11, 2025
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भिण्ड

जन अभियान परिषद ने विवेकानंद जयंती पर किया जिला स्तरीय कार्यशाला का आयोजन

सनातन परंपरा के वाहक थे विवेकानंद: आर एन तिवारी

*युवाओं के प्रेरणास्त्रोत थे विवेकानंद: राधे गोपाल यादव*

*स्वामी जी ने नर सेवा नारायण सेवा के संदेश को साकार किया: परमाल सिंह*

*संपूर्ण वांग्मय के पुरोधा थे विवेकानंद: गगन शर्मा*

भिण्ड। सनातन परंपरा के ध्वजवाहक स्वामी विवेकानंद की जयंती पर जन अभियान परिषद द्वारा स्थानीय एमजेएस महाविद्यालय में कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें विभिन्न समाजसेवियों एवं वक्ताओं ने अपने विचार प्रकट किये।

सनातन परंपरा के वाहक थे विवेकानंद जी उन्होंने भारतीय सनातन की ध्वजा को शिकागो में न केवल फहराया बल्कि भारतीय जीवन शैली, विचारों को भी परिचित कराया। वे भारतीय सनातन के अद्वितीय संत थे। उक्त बात रिटायर्ड प्रोफेसर आर एन तिवारी ने कही वे जिला पीएम श्री एमजेएस महाविद्यालय में विवेकानंद जयंती पर आयोजित व्यख्यानमाला में बोल रहे थे।

इस अवसर पर मप्र जन अभियान परिषद के जिला समन्वयक शिवप्रताप सिंह भदौरिया, समाजसेवी राधेगोपाल यादव, विवेकानंद केंद्र से गगन शर्मा, पार्षद राहुल यादव, अखिल भारतीय साहित्य परिषद के अध्यक्ष परमाल सिंह सहित जिले के समस्त नवांकुर संस्थाओं के प्रतिनिधि, प्रस्फुटन समितियों के प्रतिनिधि, मेंटर्स, बीएसडब्ल्यू/एमएसडब्ल्यू के छात्र-छात्रायें, समाजसेवी उपस्थित थे।

इस दौरान सामान्यज्ञान प्रतियोगिता में विजेता छात्रों को पुरस्कृत भी किया गया तथा छात्रों को प्रशस्ति पत्र भी दिए गए। अतिथियों को स्मृति चिन्ह भी प्रदान किए गए। कार्यक्रम का संचालन मेंटर आशुतोष शर्मा ने किया जबकि आभार प्रदर्शन जिला समन्वयक शिवप्रताप सिंह ने किया।

पीएम श्री एमजेएस महाविद्यालय परिसर में दीप प्रज्वलन के बाद आयोजित कार्यक्रम में बोलते हुए आर एन तिवारी ने कहा कि विवेकानंद जी के जन्मदिवस के उपलक्ष में आयोजित उक्त कार्यक्रम हेतु जन अभियान बधाई का पात्र है। उन्होंने कहा की स्वामी जी ने शिकागो विश्व धर्म सम्मेलन में अपनी बात रखते हुए भारत की सभ्यता को दुनिया की सबसे श्रेष्ठ सभ्यता सिद्ध किया था। उन्होंने सनातन धर्म की ध्वजा को युवाओं को आगे ले जाने का आग्रह किया। स्वामी जी ने भारत की अखंडता संप्रभुता और सांस्कृतिक विरासत को विदेशी धरती पे परिभाषित किया। सही मायने में सनातन परंपरा के संवाहक थे स्वामी जी उन्होंने विश्व भर में सनातन की जो परिभाषा प्रतिपादित की आज भी जगत इस परिभाषा पर विश्वास करता है। मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए उन्होंने विवेकानंद के जन्म से लेकर उनके महाप्रयाण तक की जीवन गाथा को विस्तार से सभी के मध्य रखा उन्होंने कहा कि अब आपको उनकी सनातन धर्म की ध्वजा को युवाओं को आगे ले जाने का पावन कार्य करना है यह आपसे समाजसेवी ही कर सकते हैं जन अभियान परिषद् कर सकती है।

समाजसेवी राधे गोपाल यादव ने कहा कि विवेकानंद जी के संपूर्ण जीवन में से यदि हम एक अंश की भी सीख ले लें तो हमारा जीवन साकार हो जाएगा। वह युवाओं के प्रेरणा श्रोत ह हमें उनसे यह सीख लेनी चाहिए कि यदि लक्ष्य बनाकर हमने कार्य किया तो सफलता निश्चित है। यही मंत्र जीवन में अपनाकर हम आज यहां लक्ष्य निर्धारित करें।

वरिष्ठ समाजसेवी एवं विवेकानंद केंद्र से आए गगन शर्मा ने कहा कि यदि संक्षिप्त शब्दों में विवेकानंद को समझना है तो कह सकते हैं कि संपूर्ण वांग्मय के पुरोधा थे विवेकानंद। वे एक मात्र उस समय के सनातन परंपरा के वाहक थे। उन्होंने भारतीय सनातन की ध्वजा को शिकागो में न केवल फहराया बल्कि भारतीय जीवन शैली, विचारों से भी विश्व को परिचित कराया। वे भारतीय सनातन के अद्वितीय संत थे।

समाज सेवी तथा अखिल भारतीय साहित्य परिषद के अध्यक्ष परमाल सिंह ने कहा स्वामी जी ने नर सेवा नारायण सेवा को प्रतिपादित किया। मनुष्यता का सही धर्म यदि किसी ने प्रतिपादित किया है तो वह विवेकानंद जी हैं। हमें उनसे यह सीख लेनी चाहिए कि जीवन का उद्देश्य क्या हो। स्वामी जी ने नर सेवा नारायण सेवा का जो संदेश इस दुनिया को दिया है वह अमिट है और उसी से प्रेरणा लेकर हमें भी सदैव सकारात्मक भाव से कार्य करना चाहिए।

समाज सेवी राहुल यादव ने कहा कि परिषद सदैव से अभिनव पहल करती रही है यह आयोजन उसी कड़ी का हिस्सा है। इस हेतु परिषद को साधुवाद है। पिछले दो सालों से परिषद ने जो गति पकड़ी है वह काबिले तारीफ है। विवेकानन्द जी के बारे में जितना कहा जाए कम है। वे इस धरती के ऐसे सूर्य थे जिसका प्रकाश ब्रह्मांड के कण कण को सुशोभित कर गया। जिला समन्वयक शिवप्रताप सिंह ने जन अभियान परिषद के कार्यों की पूर्ण रूपरेखा रखी और यह बताया कि किस प्रकार परिषद ने महान उपाधियों के कृतित्व और व्यक्तित्व को नीचे तक पहुंचाया है। विवेकानंद के बारे में बोलते हुए कहा कि वे अतुलनीय प्रतिभा के धनी थे उन्होंने सनातन धर्म की जो ध्वजा फहराई वह आज भी अक्षुण्ण है। जिला समन्वयक ने कहा कि स्वामी जी ने भारत की अखंडता, संप्रभुता और सांस्कृतिक विरासत को विदेशी धरती पे परिभाषित किया। यह सही मायने में प्रत्येक जन के लिए गौरव की बात थी।

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