वरिष्ठ पत्रकार रामानंद सोनी की कलम से🖋️
वीरेन्द्र जैन वकील साहब अब हम सबसे बिछुड़ गये। कितने ही लोगों की आशाएं, उम्मीदें, ख्वाहिशें टूट गयीं। हर समय सबकी मदद के लिए खड़ा रहने वाला इंसान बहुत याद आता है। उन्होंने जितना समाज से पाया, शायद उससे कई गुना ज्यादा लौटाया। वे लोग भी उनसे लाभान्वित हुए, जो उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा, स्वीकार्यता तथा उपलब्धियों से ईर्ष्या रखते थे। देने वाले, मददगार के तौर पर वे यह देखते ही नहीं थे कि हाथ फैलाए सामने खड़ा व्यक्ति उनका मुरीद नहीं, आलोचक है। यही बात वकील साहब को औरों से भिन्न तथा विशिष्ट बनाती है।
इंसानी फितरत के मुताबिक उनमें भी अपने व्यावसायिक, वैचारिक, सामाजिक तथा राजनैतिक प्रतिस्पर्धियों के लिए विरोध का भाव तो रहता था, पर उसे उन्होंने बैर और वैमनस्यता में कभी नहीं बदलने दिया। गुस्सा अव्वल तो उनको आता नहीं था, आता भी था तो कुछ ही क्षणों में तिरोहित भी हो जाता था। क्या हर कोई ऐसा कर सकता है?
वह तमाम सामाजिक संस्थाओं के शीर्ष पदाधिकारी रहे। नगर पालिका में पार्षद रहे तथा कांग्रेस की राजनीति में लंबे समय तक सक्रिय रहे। लगभग पांच हजार शेयरहोल्डर्स वाली भिंड नागरिक सहकारी बैंक का लगातार तीन बार संचालक तथा एक बार अध्यक्ष चुना जाना मैं उनकी बड़ी उपलब्धि मानता हूं। क्योंकि इसके पहले बैंक के बोर्ड में उन्हीं लोगों का वर्चस्व ज्यादा था जो उसकी स्थापना से जुड़े हुए थे। उन्होंने इस परंपरा को भी तोड़ा। यह सब उनकी व्यावसायिक दक्षता, नेतृत्व क्षमता एवं काबिलियत को दर्शाता है। मेरा उनका लगभग 35 वर्ष का साथ था। नागरिक सहकारी बैंक के बोर्ड में रहते हुए मैंने उनकी विद्वता तथा कार्य कौशल को बहुत निकट से देखा। उनके सुझावों पर संचालक मंडल ने बाद में कई नीतियां बनाई तथा उन पर अमल करके बैंक को आगे पहुंचाया।
और भी बहुत कुछ है उन पर लिखने के लिए, पर फिलहाल इतना ही।
उनको शत शत नमन!!❤❤❤