पंचनद: चंबल विद्यापीठ परिवार द्वारा पांच नदियों के महासंगम पर लाल सेना के कमांडर अर्जुन सिंह भदौरिया की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धापूर्वक याद किया गया। चंबल संग्रहालय के संस्थापक व दस्तावेजी लेखक डॉ. शाह आलम राना ने देश को आजादी दिलाने वाले जननायक को क्रांतिकारी सलाम पेश करते हुए कहा कि कमांडर अर्जुन सिंह भदौरिया ने बेमिशाल शौर्य और अविस्मरणीय कुर्बानी से चंबल अंचल में आजादी के लिए मचल रहे जोशीले युवाओं के लड़ाका दस्ते की अगुवाई की थी जिसकी प्रतिक्रिया में फिरंगी सरकार की अदालत ने कमांडर को 44 साल की सजा दी।
आजाद भारत में वे 1957, 1967 और 1977 में तीन बार इटावा के सांसद के रूप में चुने गए और सदन में जनता के हित से जुड़े मुद्दों और सवालों को निरंतर उठाते रहे। वे महात्मा गांधी, आचार्य नरेंद्र देव, डॉक्टर राममनोहर लोहिया, लोकनायक जय प्रकाश नारायण सरीखे महा विभूतियों के परम विश्वस्त सहयोगी के रूप में आंदोलनरत रहे और गरीब व हाशिये के लोगों की बेहतरी के लिए छियानवे वर्ष की उम्र तक में आखिरी सांस तक संघर्षरत रहे। कमांडर अर्जुन सिंह अपने जीवन में 52 बार जेल गए। चंबल संग्रहालय में कमांडर से जुड़े दस्तावेज, तस्वीरें, पत्र, लेख, पुस्तकों सहित कई फाइलें शोधार्थियों के लिए संरक्षित की जा चुकी हैं।
स्मरण अवसर पर मनोज राठौर, चंद्रोदय सिंह चौहान, श्याम सिंह, महेंद्र कठेरिया, आशीष दुबे व अन्य महानुभावों द्वारा उनके चित्र पर फूल मालाएं अर्पित किए गए।
