भिण्ड। स्थानीय पुरानी गल्ला मंडी परिसर में आयोजित की जा रही श्रीमद्भागवत कथा के षष्ठम दिवस की भागवत कथा में भगवान श्री कृष्ण के चरित्रों का बखान गायन के माध्यम से किया गया। इस दौरान गोपी गीत, विरह गीत, वेणु गीत, मथुरा गमन , कंस वध, जरासंध युद्ध, मुचकुंद पर कृपा, द्वारिका प्रस्थान, कुंदनपुर जाकर रुक्मणी हरण आदि लीलाओं का विस्तार से वर्णन वृंदावन से पधारे आचार्य प्रशांत तिवारी ने किया।

उन्होंने भक्तों को बताया कि कृष्ण रुक्मणि मंगल की झांकी के दर्शन, कथा श्रवण, कन्या चरण पूजन जो माताएं करती है वे सदैव सौभाग्यवती रहती हैं एवं गृह क्लेश भी दूर होता है। आत्मा का अंतिम लक्ष्य परमात्मा से मिल जाना होता है इसलिए प्रतिक्षण महामंत्र का उच्चारण करते रहें। अच्छी नियत से ईश्वर खुश होते हैं और दिखावे से इंसान, इसलिए नियत हमेशा स्वच्छ एवं पवित्र रखें। परमात्मा घट घट वासी है वह हर मन की बात जानता है। बुरा वक्त रास्ते में कंकड़ की तरह होता है, यह शुरुआत में चुभता जरूर है, पर आगे की चट्टानों से लड़ना सिखा देता है। कठिन स्थिति में भी प्रभु का न भूलें, प्रभु सदैव भक्तों के साथ रहते हैं।
सोमवार को कथा सत्र में बरही चंबल तट पर खेड़ापति हनुमान मंदिर के महंत गोपाल दास महाराज जी पधारे। उनका स्वागत यजमान शकुन्तला डॉ महेश देव शर्मा ने पुष्प माला से किया। इस अवसर पर आरती करने वालों में बिमलेश दुबे, भाजपा नेता शारदा शरण शर्मा, अकोड़ा नपा उपाध्यक्ष राजकुमार शर्मा गुमने, जिला पंचायत सदस्य आशु भदौरिया, पार्षद जितेंद्र नरवरिया, डॉ हेमंत शर्मा, डॉ रमेश पाराशर, रामभरोसे लाल आदि उपस्थित रहे।
