चम्बल डीआईजी के पद से रिटायर हुए आईपीएस सुधीर व्ही लाड ने गुरुवार को भाजपा की सदस्यता ग्रां कर ली। भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने उन्हें भाजपा की सदस्यता दिलाई। छिंदवाड़ा में रिटायर्ड आईपीएस सुधीर व्ही लाड ने भाजपा का दामन थामा। इस दौरान उन्होंने कहा कि राजनीति में आने का मकसद केवल समाजसेवा है। इसके लिए राष्ट्रवाद को लेकर आगे बढ़ रही भारतीय जनता पार्टी से अच्छा विकल्प नहीं है।
सेवानिवृत्त डीआईजी सुधीर व्ही लाड नमदिल और प्रकृति प्रेमी लेकिन तेजतर्रार कुशल प्रबंधन के रूप में जाने जाते रहे हैं.. भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी सुधीर व्ही लाड की अन्तिम पोस्टिंग डीआईजी चम्बल की रही है..
मूलतः गुजरात के वैश्य परिवार के होकर इंदौर में जन्में सुधीर व्ही लाड (पिता श्री व्ही के लाड और माता श्रीमती प्रमिला लाड) ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा के बाद जयपुर राजस्थान में उच्च शिक्षा ग्रहण की। राजस्थान विश्वविद्यालय से एमएससी एमफिल गणित विषय में किया। अपने नाना जी के कारण श्री लाड की शुरू से योग के प्रति रूचि एवं झुकाव बन गया। हालांकि तब योग का उतना प्रचलन नहीं था, किन्तु उस वक्त ये स्वामी आनंदानन्द जी के बापूनगर जयपुर स्थित योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा केन्द्र के संपर्क में आये। इनकी प्रातःकाल की दिनचर्या सुनिश्चित हुई और इनका झुकाव धर्म, आध्यात्म एवं दर्शन शास्त्र की ओर बढ़ा। बाद में इन्हीं विषयों से इन्होंने प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कर पुलिस प्रशासनिक सेवा को पहली वरीयता दी।
अपने मनोयोग और कड़ी मेहनत से पुलिस सेवा में चयनित होने के बाद भी योग और अपने रूटीन को इन्होंने नहीं बदला। इसीलिए ये मानते हैं कि इनके जीवन में विचार, व्यवहार और वजन में कोई परिवर्तन नहीं आया है। तात्कालीन जनसंघ विचारधारा से जुड़ी पारिवारिक पृष्ठभूमि के श्री लाड बताते हैं सर्वप्रथम वर्ष 1966-67 में मात्र 8 साल की उम्र में वे अपने नाना वैद्य पंडित बलदेवदास जी गुप्त, धार जो कि उस समय हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय महासचिव थे, उनके साथ उनकी उंगली पकड़कर माँ नर्मदा के दर्शन हेतु अमरकंटक आये थे और तभी से नर्मदा मैया की कृपा से माता के प्रति उनकी भक्ति और लगन ऐसी हुई कि माँ नर्मदा उनकी इष्ट देवी बन गईं।
यह एक दैवीय कृपा है कि बचपन से लेकर आज तक माता के प्रति उनकी निरन्तर भक्ति बनी हुई है। विशेष महत्व इस तथ्य का है कि अपने विद्यार्थी जीवन और उसके बाद अपने सेवाकाल में मां नर्मदा के लिए उनका लगाव किसी रुप में कम नहीं हुआ अपितु बढ़ता गया और जहां जहां ये पदस्थ रहे अपने कर्तव्य की प्रमुखता के साथ जन संवेदनाओं और सामुदायिक पुलिसिंग में पर्यावरण और स्वच्छता के स्वप्रेरित उद्देश्य से स्थानीय जनमानस को चेतनाशील बनाते हुए प्रदेश की जीवन रेखा के लिए समर्पित भाव से अपने कर्तव्यों का पालन किया है। यह भी एक अद्भुत संयोग रहा है कि इनकी धर्मपत्नी डॉ. अपर्णा लाड का जन्मस्थान मंडलेश्वर है और इनकी सेवाकाल का अधिकांश भाग मां नर्मदा के तटीय चरणों में पदस्थापना के रूप में रहा है।
सुनिये भाजपा जॉइन करने के बाद क्या कहा सुधीर व्ही लाड ने-