परानिधेश भारद्वाज,
भिण्ड। जिले में खेलों की अलख जगाने वाले स्वर्गीय हरवीर सिंह यादव 29 जनवरी को पंचतत्व में विलीन हो गए। जिनकी तेरहवीं 10 फरवरी को होगी। लेकिन तेरहवीं पर भोज देने की जगह शांति पाठ एवं हवन किया जाएगा। साथ ही उनकी याद में वृक्ष लगाए जायेंगे।
स्वर्गीय हरवीर सिंह का जन्म अटेर क्षेत्र के किसान के घर हुआ था। चंबल की माटी में पैदा होकर, भिंड और ग्वालियर में शिक्षा लेकर वह अटेर क्षेत्र के ही नहीं बल्कि भिंड और चंबल सहित मध्य प्रदेश की शान बने। पारिवारिक जीवन में माता-पिता से ही वैष्णव संस्कारों की शिक्षा प्राप्त हुई। वह राधा कृष्ण के परम भक्त थे। पुराने समय में उन्होंने एम.ए., B.Ed, B.Ed NIS पटियाला, आयुर्वेद रत्न से डॉक्टरेट की डिग्रियां प्राप्त कीं। पढ़ाई के साथ ही वह खेलों में भी आगे रहे। एथलेटिक्स में उन्होंने राष्ट्रीय मेडल प्राप्त हुआ। उस समय के रशियन प्रशिक्षक झटोपिक से भी प्रशिक्षण लिया। वह मध्य भारत एथलेटिक्स चैंपियन भी रहे।
बाबूजी जीवन पर्यंत खेलों को बढ़ावा देने के लिए कार्य करते रहे। वह शासकीय शिक्षक बने और प्राचार्य पद पर रहते हुए सन 70 के दशक से मृत्यु पर्यंत तक 50 साल से अधिक के कार्यकाल में लोगों को खेलों के लिए प्रोत्साहित करते एवं प्रशिक्षण देते हुए जीवन व्यतीत किया। पर्यावरण प्रेमी होने के नाते पेड़ लगाना, खेती करना, सदैव साइकिल से चलना, केवल घर पर ही खाना खाना जैसे नियमों का वह हमेशा पालन करते रहे। वह तेरहवीं में भोज प्रथा एवं दहेज प्रथा का निरंतर विरोध करते रहे। परिवार के प्रत्येक व्यक्ति को खेलों का प्रशिक्षण पहले दिया, उसके बाद पढ़ाई के लिए भी प्रेरित किया। स्वस्थ तन में ही सुंदर मस्तिष्क स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है ऐसा उनका मानना था। किशोरी स्पोर्ट्स क्लब, किशोरी शिक्षा एवं शारीरिक शिक्षा प्रसार समिति के रूप में संस्था बनाकर खेलों को गति प्रदान की। उनके सुपुत्र कृष्णगोपाल, राधेगोपाल, हित गोपाल एवं ब्रज गोपाल यादव ने भी पिता के नक्शेकदमों पर चलते हुए खेलों में आगे बढ़ने का प्रयास किया। अपने पिता के सपनों को पूरा करने और भिण्ड में खेलों को आगे ले जाने के लिए राधेगोपाल यादव जुटे हुए हैं।