परानिधेश भारद्वाज,
मध्य प्रदेश में चुनाव को चंद महीने रह गए हैं, ऐसे में यहां पर चुनाव को लेकर सरगर्मियां तेज हो गई हैं। चाहे भाजपा हो या कांग्रेस दोनों ही पार्टियां मतदाताओं को रिझाने में जुट गईं हैं। ऐसे में विधानसभा क्षेत्रों से प्रत्याशी पद के उम्मीदवार भी अपने-अपने क्षेत्र में सक्रिय हो गए हैं। बेशक यह उम्मीदवार साल के 365 दिनों में से महज 50 दिन ही क्षेत्र में रहे हों, तब भी क्षेत्र में अब वह अपनी सक्रियता दिखाने में लगे हुए हैं। चाहे भाजपा हो या कांग्रेस, सभी में यही हाल हैं।
कई जगह प्रत्याशी पूर्व निर्धारित हैं तो कई जगह प्रत्याशियों को लेकर ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है। भाजपा और कांग्रेस दोनों में ही ऐसे कई प्रत्याशी हैं जो अपने बाप-दादाओं की विरासत को संभालने में लगे हुए हैं। लेकिन जो उनके बाप-दादाओं ने किया उसका वह 10 प्रतिशत भी नहीं दे पा रहे हैं। ऐसे में पार्टियां इन स्थानों पर उम्मीदवार बदलने की कोशिश में भी लगी हुईं हैं।
अपने बाप-दादाओं की विरासत संभाल रहे कई उम्मीदवार अब क्षेत्र में सक्रिय हो रहे हैं। वह टिकट को लेकर अपनी दावेदारी पुख्ता करने के लिए तमाम हथकंडे अपना रहे हैं। लेकिन पार्टियां उनके हथकंडों के आधार पर नहीं वरन जनमत संग्रह के आधार पर टिकट तय करेंगी।
इस बार का चुनाव भाजपा अथवा कांग्रेस दोनों ही पार्टियों के लिए प्रतिष्ठा का विषय है। वह भी इसलिए क्योंकि तमाम सर्वे में कांग्रेस को बहुमत मिलता दिखाई दे रहा है। लेकिन कई जगह पर भाजपा और कांग्रेस कई टिकट ऐसे बांटने की तैयारी में है जहां पर उनका जनमत बिल्कुल भी दिखाई नहीं दे रहा है। लेकिन पुराने जनमत के आधार पर वह टिकट देने की तैयारी में जुटे हुए हैं। ऐसे में कांग्रेस ही नहीं भाजपा को भी मुंहकी खानी पड़ सकती है। कई क्षेत्रों में भाजपा के मंत्री भी अपने निकटस्थ रिश्तेदारों के चलते दयनीय स्थिति में हैं। ऐसे में टिकिट बंटवारे को लेकर दोनों ही पार्टियों को बेहद ही फूंक फूंक कर कदम रखना होगा।
भिंड जिले की पांचों विधानसभा सीटों में किसकी क्या स्थिति है और कहां पर कौन भारी अथवा हल्का पड़ सकता है? विधानसभावार इस पूरे विश्लेषण को लेकर जल्द ही आपके बीच प्रस्तुत होंगे…