परानिधेश भारद्वाज,
भिंड । शरीर में छुपी आत्मा को देखने के लिए सम्यक साधना, संस्कार, संयम पालन कर आत्मा का दर्शन कर सकते हैं मगर जब राग, द्वेष ,कामना ,वासना का जागरण होता हैं तव आत्मा का दर्शन असंभव हो जाता है। तीर्थंकर राज पाट का त्याग कर वैराग्य धारण कर लेते हैं और समस्त कर्मों का क्षय कर निर्माण को प्राप्त हो जाते हैं।
परिवार में रहते हुए जो पाप कमाते हैं वह अंदर से वैराग्य उत्पन्न होने पर वह पाप समाप्त हो जाता हैं । राजा ,महाराजा जीवन के अंत में सन्यास धारण करते थे। गणाचार्य श्री पुष्पदंत सागर जी महाराज ने चंद्रप्रभ पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के तीसरे दिवस तप कल्याणक के अवसर पर धर्म सभा को संबोधित करते हुए महावीर स्वामी किर्ति स्तंभ पर कहा कि तुम्हारा जन्म परमात्मा बनने के लिए हुआ है वस्त्र आभूषण में फंस कर जिने के लिए नहीं। तीर्थंकर संसार के पाप कीचड़ मैं पैदा होकर कमल की तरह निर्लिप्त होकर जीवन जीते हैं और दुनिया को सम्यक मार्ग बताकर स्वयं तर जाते हैं। तीर्थंकर दुनिया से भागते नहीं है अपितु दुनिया के प्रति जागकर जीवन जीते हैं। तामसिक, राजसिक तप के द्वारा स्वयं को नहीं पाया जा सकता। मात्र सात्विक तप के द्वारा देह के देहालय में कैद परमात्मा को प्रगट किया जा सकता है।

देश राष्ट्र की शांति के लिए शांति धारा
महोत्सव का प्रारंभ भगवान जिनेंद्र का अभिषेक शांतिधारा कर किया गया शांति मंत्रों का उच्चारण गणाचार्य पुष्पदंत सागर जी महाराज एवं उनके शिष्य क्रांतिवीर मुनि श्री प्रतीक सागर जी महाराज द्वारा किया गया।
तप कल्याण के अवसर पर दोपहर में तीर्थंकर का राज अभिषेक एवं लौकन्तिक देवों द्वारा तीर्थंकर के वैराग्य की अनुमोदना की गई।
गणाचार्य श्री पुष्पदंत सागर जी महाराज आचार्य श्री सौरभ सागर जी महाराज क्रांतिवीर मुनि श्री प्रतीक सागर जी महाराज ने इस अवसर पर जिनेंद्र भगवान की प्रतिमा के वस्त्र एवं पंच मुष्ठी केश लोच किया और मुनि व्रतो को आरोपित किया।

वैराग्य पूर्ण दृश्य देखकर संपूर्ण सभा मंडप महामुनि चंद्रकुमार यूगराज की जय जय कार से सभा मंडप गूंज उठा। तीर्थंकर को पालकी में बिठाकर वन ले जाने का सौभाग्य।प्रथम सात कदम पालखी मनुष्य को प्राप्त हुआ तत्पश्चात देवता गण पालकी को लेकर उड़ गए । यह मनोहारी दृश्य मंडप में दिखाए गए। संध्या कालीन सत्र में पूर्वक आनंद यात्रा आरती के कार्यक्रमों के साथ विशेष सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए गए।
आज चन्द्र प्रभ पंच कल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव में ज्ञान कल्याणक विशेष कार्यक्रम
ज्ञान कल्याणक पर प्रातः नित्य नियम पूजन भगवान का अभिषेक दोपहर 1:00 बजे भव्य समोसारण की रचना, प्रश्नोत्तर,
शाम 6:30 बजे आनंद यात्रा, गुरु भक्ति आदि अनेकों आयोजन होंगे।