भिण्ड। अटेर रोड स्थित अमन आश्रम परा भिण्ड में श्रीमद्भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ के अंतर्गत श्रीकाशीधर्मपीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी नारायणानंद तीर्थ जी महाराज ने कहा, मनुष्य को श्रद्धापूर्वक धर्म कार्य करना चाहिये। जिस परमात्मा ने हमें यह शरीर दिया है उसे हम अज्ञानतावस भूले बैठे हैं दु:खी वही लोग होते है जो अपना-अपना करते हैं। धन की तीन गति होती है दान, भोग और नाश, इसलिए धन की शुद्धि हेतु दशांश दान कर्म करते रहना चाहिये। संपत्ति ईश्वर की है, अत्यधिक धन का अर्जन करना अशांति का कारण है। अपनी आवश्यकताओं को नियंत्रित करने की आवश्यकता है। शक्ति सामर्थ्य के अनुसार शुभकर्म करते रहना चाहिए। धर्म का आश्रय लेकर धीरे-धीरे उन्नति करो। जिसको भगवान चाहते हैं उसी को उनके स्वरूप का ज्ञान होता है। शास्त्रों में लिखा है मनुष्य शरीर पाकर जिसने प्रभु कृपा को प्राप्त नहीं किया उसका जीवन व्यर्थ है।
महाराज श्री ने कहा अनेक रूपों में भगवान का अवतार होता है। भक्तों के प्रार्थना पर जिसका मन अनियंत्रित हो जाता है वो माता-पिता और गुरु पर दोषारोपण करते हैं। मन को पंचभूतों से जब ऊपर उठाते हैं तब ईश्वर की अनुभूति होती है। गुरुशब्द तर्क का विषय नही हैं, तर्क और वितर्क असत्यवादी लोग करते है। अभिमानी लोग समझाने से नहीं मानते हैं माता-पिता और गुरु के समझाने से न समझे वही अभिमानी है। महाराजश्री ने समस्त देशवासियों सहित नगरवासियों को दशहरा पर्व की शुभकामनायें प्रदान की कहा दशहरा का पर्व अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक है। इसी दिन भगवान श्री राम ने रावण पर विजय प्राप्त की थी। कार्यक्रम से पूर्व पादुका पूजन आचार्य योगेश तिवारी और आचार्य कृष्ण कुमार दुबे जी सविधि सम्पन्न करवाया जिसमें ग्रामवासी सहित क्षेत्रांचल के भक्तजनों ने पूजन का आशीर्वाद प्राप्त किया।