जेल बिल्डिंग गिरने के सीसीटीवी फुटेज में देखिए बिल्डिंग गिरने की भयावहता, दो मिनट के अंतर से कैसे बची 86 कैदियों की जान
छत के साथ गिरे कुछ कैदी मलबे में दबे, जिंदगी की कर रहे थे जद्दोजहद, दो मिनट पहले ही बैरक खुलने से बाहर निकले थे नीचे की बैरक के कुछ कैदी
इतने बड़े हादसे में 21 कैदी हुए घायल, केवल एक की हालत गंभीर
जेल गिरने की स्थिति देखकर यही लग रहा है कि कितने ही लोग दबे होंगे इसके अंदर, लेकिन जाको राखे साइयां मार सके ना कोय वाली कहावत हुई चरितार्थ
जेल के अंदर लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हुई बिल्डिंग गिरने और कैदियों के दबने की घटना
परानिधेश भारद्वाज की रिपोर्ट
मध्य प्रदेश के भिंड में शनिवार सुबह को बड़ी खबर सामने आई है। जहां पर सुबह 5 बजकर 15 मिनट पर जिला जेल बिल्डिंग का एक बड़ा हिस्सा धराशाई हो गया। एक के ऊपर एक बनी दो बैरक धराशाई होने से उसमें दो दर्जन से अधिक कैदी दब गए। जिला प्रशासन के अनुसार कुल 21 कैदी घायल हुए हैं जिनमें एक की हालत गंभीर है जिसे ग्वालियर रेफर किया गया है।
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सूचना मिलते ही कलेक्टर एसपी सहित जिले के वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंच गए। जबकि सूचना के बाद भोपाल से सड़क रास्ते रवाना हुए एडीजी जेल गाजीराम मीना भी शाम को भिण्ड पहुंच गए और पुरानी एवं नई जेल का निरीक्षण किया। लगातार हो रही बारिश के चलते जिला जेल की बैरक धराशाई होना बताया जा रहा है।
दरअसल भिंड में जिला जेल की बिल्डिंग सन 1956 की बनी हुई है। इस जेल में क्षमता से अधिक कैदी हमेशा रहते हैं। जेल की क्षमता लगभग 150 कैदियों की है जिसमें वर्तमान में 255 कैदी थे। बिल्डिंग पुरानी होने से काफी जर्जर भी हो गई थी और बारिश के मौसम में उसमें पानी भी टपक रहा था। जिसकी मरम्मत के लिए जेल अधीक्षक द्वारा पीडब्ल्यूडी को पत्र भी लिखा गया, लेकिन उसकी मरम्मत हो पाती उससे पहले ही जेल का एक हिस्सा धराशाई हो गया।
जानकारी के मुताबिक बैरक नंबर 2 और 7 धराशाई हुई है। जहां बैरक नंबर 2 में 22 एवं बैरक नंबर 7 में 64 कैदी थे। हालांकि जिस समय प्लास्टर उखड़ कर गिरा तो कैदी एक साइड हो गए लेकिन जब तक गेट खोला जाता, बैरक भरभरा कर गिर पड़ी, जिसमें 21 कैदी घायल हो गए। सूचना मिलते ही सबसे पहले पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार सिंह और एसडीएम उदय सिंह सिकरवार मौके पर पहुंचे। इसके साथ ही जिला कलेक्टर सतीश कुमार एस. सहित पूरा जिला प्रशासन मौके पर पहुंच गया। साथ ही बड़ी संख्या में फोर्स भी जेल पर और अस्पताल पर भेजा गया।
जेल धराशाई होने की सूचना मिलते ही सैकड़ों की संख्या में मरीजों के परिजन भी जेल पर पहुंच गए। अपने परिजन की स्थिति जानने के लिए जेल पर पहुंचे घबड़ाये हुए परिजनों को कैदियों से मिलवाया गया। इस दौरान भीड़ में कुछ असामाजिक तत्वों ने बवाल करने की कोशिश भी की लेकिन पुलिस द्वारा तुरंत स्थिति को संभालते हुए कोई बवाल नहीं होने दिया। इसके साथ ही पुलिस प्रशासन द्वारा 21 घायल कैदियों की सूची जारी कर चस्पा की गई ताकि उनके परिजन ना घबड़ाएं। केवल एक कैदी ऊदल सिंह की हालत गंभीर थी, जिसे ग्वालियर रैफर किया गया है।
जानकारी के मुताबिक एक बैरक गिरने से आसपास के बैरक में भी टूटफूट हुई है और बड़े बड़े पत्थर ठीक उसी जगह पर गिरे हैं जिस जगह कैदी सोते हैं। गनीमत यह रही कि घटना सुबह के समय हुई जब ज्यादातर कैदी जाग चुके थे। दो नंबर बैरक के कैदियों की ड्यूटी खाना बनाने में रहती है और उसको सबसे पहले खोला जाता है। जेल प्रहरी जब बैरक खोल रहा था उसी समय पिलर और दीवार में दरार पड़ी। उसने तुरंत इसकी सूचना जेलर को दी। जब तक जेलर को सूचना दी गई तब तक बैरक नंबर दो एवं सात भरभरा कर गिर चुकी थी। जो जेल प्रहरी मौके पर थे वह स्थिति देखकर इतने घबरा गए की एक तो बेहोश भी हो गया। जेल प्रहरियों के अनुसार यही घटना अगर रात के समय हुई होती तो स्थिति काफी भयावह हो सकती थी और शायद ही कोई जीवित बचता।[embedyt] https://www.youtube.com/watch?v=n_A2s4l39t4[/embedyt]
कैदियों ने भी घटना का आंखों देखा वर्णन करते हुए कहा कि ईश्वर कृपा से उनकी जान बच सकी। कैदियों के अनुसार साथी कैदियों ने भी घायलों को निकालने में पूरी मदद की। सबसे बड़ी बात यह रही कि अफरातफरी के माहौल में भी किसी कैदी ने भागने की कोशिश नहीं की।[embedyt] https://www.youtube.com/watch?v=AMj7Fv94k_o[/embedyt]
बताया जा रहा है कि जेल की बिल्डिंग काफी पहले से ही जर्जर हालत में थी और इसी के चलते नई जेल का निर्माण भी लंबे समय से चल रहा है लेकिन लालफीताशाही और ठेकेदारों की लेटलतीफी के चलते जेल का निर्माण दो दशक में भी पूरा नहीं हो सका, जिसका परिणाम आज देखने को मिला। घटना के बाद जिले के सीजेएम ने मौके पर पहुंचकर मौका मुआयना किया। जबकि ग्वालियर केंद्रीय जेल अधीक्षक भी जिला जेल पहुंचे।
सभी कैदियों को ग्वालियर की केंद्रीय जेल में शिफ्ट किया गया है। ग्वालियर की केंद्रीय जेल में भी इस समय जो उसकी क्षमता है उतने कैदी मौजूद हैं ऐसे में भिण्ड के कैदियों का अतिरिक्त भार भी केंद्रीय जेल पर पड़ेगा।
जेल भवन गिरने की जानकारी लगते ही पूर्व विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाह एवं वर्तमान बसपा विधायक संजीव सिंह कुशवाह भी मौके पर पहुंचे और स्थिति का जायजा लिया। इसके साथ ही पूर्व विधायक हेमंत कटारे ने अस्पताल पहुंचकर घायल कैदियों से मुलाकात की। वहीं राज्यमंत्री ओपीएस भदौरिया भी जेल पहुंचे और स्थिति देखी। अब देखने वाली बात होगी कि इतनी बड़ी घटना के बाद नवीन जेल का निर्माण कार्य गति पकड़ता है या फिर कैदियों को ग्वालियर ही आना-जाना पड़ेगा।
घटना की सूचना मिलते ही जेल एडीजी गाजीराम मीणा भोपाल से सड़क के रास्ते भिंड पहुंचे और सबसे पहले धराशाही हुई जिला जेल का निरीक्षण किया। उन्होंने बताया कि प्रदेश की सभी पुरानी जेलों का इंस्पेक्शन करवाया जा रहा है, साथ ही भिंड जिला जेल कैंपस के अंदर बने जेल प्रहरीयों के जर्जर क्वार्टरों को भी खाली करने के निर्देश जेल प्रहरियों को दिए हैं। और उन्होंने कहा है कि कहीं भी अच्छी जगह देखकर के प्रहरी मकान किराए से ले जिससे उनका जीवन सुरक्षित रह सके। जेल एडीजी गाजी राम मीणा ने नई जेल बनने तक नए बंदियों के लिए किराए का भवन लेकर जेल संचालित करने के बारे में भी कहा है। साथ ही उन्होंने कहा कि जेल का एक हिस्सा गिरने की जांच तो कराई जा रही है, साथ ही 13 साल का वक्त बीत जाने के बाद भी नई जेल नहीं बन सकी है उसकी भी जांच कराई जाएगी।
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