ग्वालियर में 20 फरवरी 2018 को हुए अभिषेक तोमर नामक युवक के एक बहुचर्चित हत्याकांड में पुलिस द्वारा 6 आरोपियों को क्लीन चिट दे दी गई थी। लेकिन फरियादी राघवेंद्र सिंह ने न्यायालय की शरण ली कहा कि पुलिस ने असल आरोपियों को तो बाहर कर दिया है। जिसके बाद न्यायालय द्वारा साक्ष्यों के आधार पर मामले से बाहर निकाले गए आरोपियों को फिर से मामले में आरोपी बनाते हुए एफआईआर में नाम दर्ज करने के आदेश दिए गए हैं।
दरअसल 20 फरवरी 2018 को अभिषेक, राघवेंद्र,संजय आदि के साथ ही परमाल सिंह की न्यायालय में पेशी थी। पेशी में परमाल सिंह भी अम्बाह जेल से न्यायालय पहुंचा था। पेशी के बाद फरियादी राघवेंद्र बुलेट मोटरसाइकिल पर सवार होकर अभिषेक तोमर के घर की ओर जा रहे थे। मोटरसाइकिल अभिषेक तोमर चला रहा था। उनके साथ में दूसरी मोटरसाइकिल पर रमन चौहान एवं संजय तोमर भी वापस आ रहे थे। जैसे ही फरियादी तानसेन रोड पर एलआईसी ऑफिस के पास पहुंचे वैसे ही एक टाटा सफारी में सवार होकर आधा दर्जन से अधिक लोग आए, जबकि कुछ लोग अपाचे मोटरसाइकिल पर सवार होकर आए। उन्होंने बुलेट सवार लोगों को घेर लिया और सामने से गोलियां चला दी। गोलियां लगने से बुलेट चला रहे अभिषेक तोमर की मौके पर ही मौत हो गई। जबकि अन्य लोगों ने जैसे-तैसे अपनी जान बचाई।
जिसके बाद फरियादी राघवेंद्र सिंह की शिकायत पर पड़ाव थाना में हत्या, हत्या के प्रयास सहित तमाम धाराओं में मामला दर्ज कर लिया गया। लेकिन फरियादी का कहना है कि मामले में पुलिस द्वारा आरोपियों से मिलकर मुख्य आरोपियों को सबूतों का अभाव होना बताकर एफआईआर से उनका नाम हटा दिया गया। जबकि बतौर फरियादी जिनका नाम हटाया गया है वह मुख्य आरोपी हैं। और सह अभियुक्त की धारा 27 साक्ष्य विधान के असत्य मेमोरेंडम के आधार पर जिनको आरोपी बनाकर न्यायालय में अभियोगपत्र प्रस्तुत किया गया है वह घटना से असंबंधित हैं।
जिसपर फरियादी द्वारा न्यायालय में आवेदन देकर आरोपियों के खिलाफ मामला चलाने की गुहार लगाई गई। न्यायालय ने साक्ष्यों के आधार पर एफ आई आर से नाम हटाए गए छह आरोपियों पंकज सिकरवार, विजय भदोरिया, अमित भदोरिया, रविंद्र सिकरवार, सोनू राठौर और ओमी उर्फ ओम प्रकाश राठोर के नाम एफ आई आर दर्ज कर उनके खिलाफ मामला चलाए जाने के आदेश दिए हैं। हालांकि इनमें से पंकज सिकरवार की भी हत्या हो चुकी है जो कि काफी चर्चित रही।
फरियादी ने न्यायालय को बताया कि मामले में साक्षियों के धारा 161 भारतीय दंड विधान के तहत कथन लिए गए, लेकिन पुलिस द्वारा सही अनुसंधान ना करते हुए रिपोर्ट में लिखे गए अभियुक्तगण से सांठगांठ कर एफआईआर में नामजद वीरू उर्फ वीरेंद्र के साथ शेष छः अभियुक्तों को बिना किसी कारण के छोड़ दिया गया और एफआईआर में नाम होने के बावजूद उन्हें आरोपी नहीं बनाया गया।
लेकिन न्यायालय द्वारा फरियादी राघवेंद्र सिंह के आवेदन पर सुनवाई करने के उपरांत 6 आरोपियों को हत्या, हत्या के प्रयास सहित अन्य धाराओं में आरोपी बनाते हुए गिरफ्तारी वारंट जारी कर उन्हें गिरफ्तार कर न्यायालय में प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं।