बीजेपी को घेरने के लिए कांग्रेस द्वारा शुक्रवार को आयोजित की गई मीटिंग पर ही उठने लगे सवाल
- परानिधेश भारद्वाज
गोहद की जन समस्याओं को लेकर के बीजेपी सरकार को कटघरे में खड़ा करने के लिए कांग्रेस द्वारा आयोजित की गई बैठक ही सवालों के घेरे में आ गई है और मीटिंग के दौरान कांग्रेस में खुल कर गुटबाजी नजर आई। दरअसल भिंड जिले की गोहद विधानसभा में विधानसभा उपचुनाव के बाद कांग्रेस की जीत के सात महीने बाद जन समस्याओं को लेकर के आयोजित की गई कांग्रेस की जिला स्तर से लेकर विधानसभा स्तर के कार्यकर्ताओं की मीटिंग में पाँच घंटे तक लगातार हंगामा चलता रहा। हंगामे के दौरान कुछ कार्यकर्ता विधायक पर अनसुनी करने का आरोप लगाते रहे तो दूसरे कार्यकर्ता विधायक के पक्ष में उन्हीं कार्यकर्ताओं से विवाद करने पर भी आमादा हो गए। ऐसा ही एक नजारा है मीटिंग के दौरान का जो दो महिला कांग्रेस नेत्रियों के बीच देखने को मिला। जिसमें महिला नेत्री पिंकी जाटव ने गोहद में पानी संकट को लेकर मुद्दा उठाया तो कांग्रेस नेत्री मालती जाटव ने विधायक का पक्ष लेते हुए पिंकी जाटब को खूब खरी-खोटी सुनाई और एक दूसरे से माइक की छीना झपटी करती नजर आईं। इतना ही नहीं और भी कई कांग्रेसी कार्यकर्ता मीटिंग के दौरान विधायक मेवाराम जाटव पर आरोप-प्रत्यारोप करते दिखाइ दिए। पूरी मीटिंग के दौरान कांग्रेस कार्यकर्ताओं में आपस में ही सामंजस्य देखने को नहीं मिला। जिसके चलते पूरे पाँच घंटे तक चली मीटिंग के दौरान लगातार हंगामा होता रहा। कार्यकर्ताओं का आरोप था कि चुनाव से पहले विधायक जी ने आश्वासन दिया था कि कोई भी संकट आएगा तो आपके बीच मिलूंगा, लेकिन विधायक ने वह भी छोड़ दिया। वहीं गोहद विधायक मेवाराम जाटव ने आखरी ब्रह्मास्त्र छोड़ते हुए कहा कि प्रदेश में भाजपा की सरकार है और अधिकारी उनकी सुनते नहीं है। हंगामे के बाद गोहद विधायक मेवाराम जाटव के नेतृत्व में गोहद की जन समस्याओं को लेकर एसडीएम को एक ज्ञापन दिया है। मीटिंग के इस हंगामे के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। वायरल वीडियो में कांग्रेस की अंतर कलह की शहर में खूब चर्चा है।
कांग्रेस पहले से ही काफी कमजोर हो चुकी है ऐसे में कार्यकर्ता भी उसको मजबूती प्रदान करने की जगह आपस में ही लड़ झगड़ रहे हैं। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल है कि आखिर कमजोर होती कांग्रेस को संजीवनी कौन देगा, जिससे वह फिर से खड़ी हो सके, क्योंकि यहां तो सब आपस में ही लड़ने झगड़ने पर उतारू हैं। हालांकि मध्यप्रदेश में कोई तीसरा दल अभी तक इतना सक्रिय नहीं है जो भाजपा और कांग्रेस के विकल्प के रूप में खड़ी हो सके। ऐसे में भी अगर कांग्रेसी आपस में सामंजस्य नहीं बिठा सके तो आगे की राह भी कांग्रेस के लिए आसान नहीं होगी।
देखिए वीडियो…
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