परानिधेश भारद्वाज, (video courtesy Shubham Jain)
मध्यप्रदेश के भिंड जिले मे शनिवार 25 मार्च 2023 को पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव का आयोजन गणाचार्य श्री पुष्पदंत सागर जी महाराज ससंघ के पावन सानिध्य में किया गया। इस दौरान संत श्री सौरभ सागर जी महाराज एवं क्रांतिकारी संत श्री प्रतीक सागर जी महाराज का भी सानिध्य भक्त गणों को प्राप्त हुआ।
इस दौरान गणाचार्य श्री पुष्पदंत जी महाराज ने कहा कि वह एक बार फिर से इस क्षेत्र में आकर आनंदित महसूस कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यहां के लोगों में पहले से बहुत अधिक बदलाव हुआ है और उनके अंदर जिज्ञासा भी है एवं वह संतो के चरणों में रहकर कुछ सीखना भी चाहते हैं। उन्होंने कहा कि जब भी वह प्रवचन के लिए जाते हैं तो उन्हें महसूस होता है कि यहां के लोगों के अंदर सीखने के लिए काफी प्यास है और उनकी अच्छे से प्यास बुझाने के लिए कोई चाहिए।
एक पत्रकार द्वारा वर्ष 1993 और अभी में हुए परिवर्तन के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने दो टूक जवाब दिया कि पहले लोग मांग कर खाते थे और अब कमा कर खाते हैं।
वहीं जब पर्यावरण के लिए कार्य किए जाने पर उनसे सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि वह दो लाख वृक्ष लगाने वाले हैं। उनकी योजना के अनुसार वृक्षों के ऊपर वृक्ष लगाने वाले के खानदान का पूरा विवरण होगा, जिससे उनकी आने वाली पीढ़ी जब वहां पहुंचेगी तो उन्हें एक एहसास होगा कि यह हमारे बाप दादाओं का लगाया हुआ पेड़ है। उन्होंने कहा कि हमारे संतो ने सबसे ज्यादा साधना पेड़ों के नीचे बैठकर की हैं, ऐसे में पेड़ ऐसे लगाएंगे और उनकी डालियों को इस प्रकार का रूप देंगे कि उनमें छोटे-छोटे घरनुमा प्रतीत होंगे।
उन्होंने कहा कि वह इस प्रकार के वृक्ष लगाने वाले हैं जो कि औषधीय गुणों से भरपूर हों और एक बीमार व्यक्ति भी उनकी नीचे आकर अगर बैठे तो वह अपने आपको बिल्कुल स्वस्थ महसूस करें, उनकी योजना बिल्कुल अलग है।
पंचकल्याणक महोत्सव के बारे में उन्होंने बताते हुए कहा कि जिस प्रकार से एक बीज से वृक्ष बनता है ठीक उसी प्रकार से एक व्यक्ति परमात्मा के पथ पर चलते हुए परमात्मा बनकर सृष्टि में लोप होता है वह पांच क्रियाओं से ही संभव है। वह गर्भधारण से होते हुए जन्म से लेकर मरण तक जुड़ा हुआ है।
उन्होंने कहा कि पत्रकार के अंदर प्यास होना चाहिए और बिन बुलाए स्वयं से ऐसी जगह जाकर देखना चाहिए कि भीड़ कहाँ भाग रही है और क्यों भाग रही है। संत उन्हें रोज नई चीज दे रहे हैं व्यापार से लेकर, जागने, खाने पीने, उठने बैठने और चलने फिरने तक कीऔर यहां तक कि जिस जमीन के हम पुत्र हैं उस जमीन के प्रति हमें क्या सोचना है। हमारी दो ही मां हैं एक जन्म देने वाली और एक धरती मां, अगर दोनों ही मां के प्रति हमारे हृदय में प्रेम नहीं आया तो हमारा देश गुलाम हो जाएगा।
वहीं पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के बारे में बताते हुए आचार्य सौरभ सागर जी महाराज ने कहा कि मूर्ति में मूर्तिमान की स्थापना करना पंचकल्याणक कहलाता है। मानवीय जीवन में सभ्यता, संस्कृति, नैतिकता, धार्मिकता, सदाचार और दिव्यत्व के जागरण करने के लिए जो प्रेरणा है वह किसी आयोजन के माध्यम से ही जनसमूह तक पहुंचाया जाता है ताकि अतीत के महापुरुषों को देख करके और सुन करके उनके जीवन में भी वैसे ही बनने के भाव पैदा हों। इसलिए पंचदिवसीय गर्भ कल्याणक, जन्म कल्याणक, तप कल्याणक, ज्ञान कल्याणक और मोक्ष कल्याणक के माध्यम से भगवान महावीर की जयंती के आयोजन किया जा रहा है।
वहीं कार्यक्रम के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए आचार्य श्री प्रतीक सागर जी महाराज ने बताया कि 30 तारीख से लेकर भगवान महावीर स्वामी के गर्भ कल्याणक से मोक्ष कल्याणक तक के कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, जिसमें 29 वर्ष बाद भिंड की धरा पर आए गणाचार्य श्री पुष्पदंत सागर जी महाराज एवं सौरभ सागर जी महाराज का सानिध्य प्राप्त होगा।