परानिधेश भारद्वाज ।
मध्यप्रदेश के भिंड जिले में आशा कार्यकर्ताओं द्वारा पेड़ पर चढ़कर अनोखा प्रदर्शन किया गया। जिला अस्पताल में हड़ताल पर बैठी आशा कार्यकर्ताओं में से दो कार्यकर्ता पेड़ पर चढ़ गईं और मांगे पूरी ना होने तक पेड़ पर बैठकर ही प्रदर्शन की बात कही। उन्होंने तो यहां तक कह दिया कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जाती तब तक वह भूखी प्यासी पेड़ पर ही बैठी रहेंगी। हालांकि देर शाम वह पेड़ से उतर गईं।
दरअसल एक जून से आशा ऊषा कार्यकर्ता हड़ताल पर बैठी हुई हैं। इस दौरान उन्होंने जिला प्रशासन से लेकर मंत्रियों तक को ज्ञापन दिए। पिछले 26 दिनों से धरना प्रदर्शन कर रही आशा कार्यकर्ताओं का यह आंदोलन अब एक अलग रूप ले चुका है. इसी क्रम में रविवार को जिला अस्पताल परिसर में बैठीं आशा-ऊषा सहयोगिनी कार्यकर्ताओं ने स्थायी और शासकीय कर्मचारी घोषित किए जाने की मांग को लेकर पेड़ पर चढ़ कर अनोखा प्रदर्शन किया। साथ ही भूख हड़ताल की घोषणा करते हुए मांगे पूरी ना होने पर आत्मदाह की धमकी के साथ-साथ पेड़ से कूदकर जान देने की भी चेतावनी उन्होंने दे डाली। एक कुछ दिन पहले राज्यमंत्री ओपीएस भदौरिया के घेराव के दौरान बार बार के घेराव से परेशान मंत्री ओपीएस भदौरिया ने तो यहां तक कह दिया कि यह विषय उनका नहीं है, उनकी बात को पहले ही मुख्यमंत्री तक पहुंचा दिया गया है। लेकिन आशा-ऊषा कार्यकर्ता उनको घेरे रहीं तो उन्होंने आशा कार्यकर्ताओं को 24 घंटे में हड़ताल खत्म करने अथवा उनको हटाकर नई भर्ती करने की धमकी भी दे डाली। इसके बावजूद आशा-ऊषा वर्कर अपनी मांग पर अडिग हैं।
आशा कार्यकर्ता का कहना है कि उनके साथ सरकार न्याय नहीं कर रही है. एक मजदूर को भी तीन सौ से चार सौ रुपए प्रतिदिन मेहनताना मिलता है. लेकिन हमेशा फील्ड पर रहने वाली आशा-ऊषा को सरकार और विभाग से अनुदान के नाम पर सिर्फ़ 33 रुपए मिलते हैं. जबकि उनसे काम सरकारी कर्मचारियों से ज़्यादा लिया जाता है. ऐसे में उन्हें सरकारी कर्मचारी घोषित कर सभी योजनाओं और सुविधाओं का लाभ दिया जाना चाहिए.
वहीं, पेड़ पर चढ़ी कार्यकर्ताओं का कहना है कि जब तक सरकार इस सम्बंध में आश्वासन देकर आदेश जारी नहीं करती है और वह आदेश उनके हाथ तक नहीं आता है, तब तक वे ऐसे ही भूखी-प्यासी पेड़ पर अनिश्चितक़ाल तक बैठीं रहेंगी।
