भिण्ड जिले में एक बार फिर से पुलिस एवं प्रशासन ने रेत माफिया के खिलाफ कार्यवाही करए हुए उनके द्वारा उत्तरप्रदेश की सीमा से लगे चम्बल पुल से पहले जमा किये गए रेत को नष्ट किया है। बरही गांव के आसपास बड़ी मात्रा में माफिया द्वारा रेत इकट्ठा कर लिया गया था जिसे बारिश के समय में बेचा जाता। लेकिन माफिया के मंसूबों पर पुलिस एवं प्रशासन ने ट्रैक्टर फेर दिया और उनके रेत को मिट्टी में मिला दिया। बताया जा रहा है कि लगभग एक सैकड़ा ट्रक रेत को ट्रैक्टर द्वारा नष्ट करने की कार्यवाही की गई है।
दरअसल बारिश के मौसम में रेत के उत्खनन पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है। ऐसे में रेत खनन कंपनियों द्वारा पहले से इकट्ठा किये गए रेत को बारिश के सीजन में बेचा जाता है। लेकिन कंपनी के साथ ही माफिया भी अवैध रूप से रेत का भंडारण कर लेते हैं और फिर बारिश के मौसम में जब रेत का उत्खनन बंद हो जाता है उस समय दोगुने दामों पर इस रेत को बेचा जाता है। रेत माफिया द्वारा एक रॉयल्टी पर ज्यादा रेत भर लिया जाता है और फिर यदि उत्तरप्रदेश में कड़ाई हुई तो इस ज्यादा भरे हुए रेत को बरही के आसपास खाली कर दिया जाता है। अगर वहां कड़ाई नहीं हुई तो बेरोकटोक इसे आगे तक ले जाया जाता है। ऐसे में ईमानदारी से इस काम में लगे लोगों को नुकसान उठाना पड़ता है। लेकिन पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार सिंह एवं कलेक्टर सतीश कुमार एस ने इस बार माफियाओं के मंसूबों पर पानी फेर दिया और उनके द्वारा भंडारण किये गए रेत को मिट्टी में मिलवा दिया। पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर फूप थाना पुलिस द्वारा खनिज विभाग की टीम के साथ मिलकर इस कार्यवाही को अंजाम दिया गया।
देखिये वीडियो[embedyt] https://www.youtube.com/watch?v=oaYoEjERdC4[/embedyt]
हालांकि पुलिस प्रशासन द्वारा की गई इस कार्रवाई की तो सराहना हो रही है, लेकिन नदी के अंदर पनडुब्बियां डालकर निकाले जा रहे रेत को लेकर भी खनिज विभाग पर सवाल उठने लगे हैं। सिंध नदी के ऊपर मुख्य सड़क पर बने पुल से कुछ ही दूरी पर सरेआम पनडुब्बियों के जरिए बड़ी मात्रा में रेत निकाला जा रहा है। इन पनडुब्बियों को पुल पर से ही बड़ी आसानी से देखा जा सकता है। इसके बावजूद यह बेरोकटोक नदी का सीना छलनी करने में लगी हुई हैं। ऐसे में सवाल यह भी उठ रहा है कि आखिर इन पर कोई कार्यवाही क्यों नहीं होती।
