परा स्थित अमन आश्रम में चल रही है शंकराचार्य जी की श्रीराम कथा
परानिधेश भारद्वाज,
भिण्ड। जिले के अटेर क्षेत्र के परा गांव में नवरात्रि के अवसर पर काशी धर्म पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी नारायणानंद तीर्थ जी के श्रीमुख से श्रीराम कथा का वाचन किया जा रहा है। इसी बीच शंकराचार्य महाराज का जन्मदिन 24 सितंबर को पड़ रहा है। ऐसे में शंकराचार्य जी का जन्मदिन भक्तों द्वारा धूमधाम से मनाया जाएगा। कथा के दूसरे दिन
दो क्विंटल फूलों और दो क्विंटल फलों से होगा शंकराचार्य का अभिषेक
नारायण सेवा समिति के सदस्यों ने जानकारी देते हुए बताया भिण्ड के भक्तों के लिए यह बेहद ही सौभाग्य की बात है जो साक्षात शिव स्वरूप शंकराचार्य जी का जन्मदिन मनाने का अवसर उन्हें मिल रहा है। ऐसे में 2 क्विंटल गुलाब के फूलों और 2 क्विंटल ही सेव एवं केला के फलों से शंकराचार्य महाराज का अभिषेक किया जाएगा। यही नहीं सुबह के समय सबसे पहले 151 कन्याओं को चुनरी ओढ़ाकर कन्या पूजन और कन्या भोज किया जाएगा। इसके साथ ही 251 दीपकों को प्रज्वलित कर दीपदान किया जायेगा।

देशभर से भक्त आयेंगे शंकराचार्य महाराज का जन्मदिन मनाने
नारायण सेवा समिति द्वारा जानकारी देते हुए बताया गया कि काशी धर्म पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य महाराज के देश-विदेशों में अनुयाई हैं। ऐसे में उनके जन्मदिन के अवसर पर उनके भक्त जन्मदिन मनाने के लिए जहां भी महाराज हो वहां पहुंचते हैं। इस बार भिंड को यह सुअवसर प्राप्त हो रहा है, ऐसे में देश भर से उनके भक्त भिंड पहुंचेंगे। मंगलवार 23 सितंबर से ही भक्तों के यहां पहुंचने का सिलसिला जारी हो गया है।
भारतवर्ष पुण्य भूमि, यहीं से सम्पूर्ण विश्व को हुआ ज्ञान का प्रकाश- शंकराचार्य
श्रीराम कथा के दूसरे दिन बोलते हुए काशीधर्मपीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी नारायणानंद तीर्थ जी महाराज ने भक्तों को बताया कि वासना को मिटाने के लिए उपासना की जाती है। वासना ग्रसित मनुष्य माता-पिता, गुरु सबकी उपेक्षा करने लगता है और अंत में पतित हो जाता है। वासना रहित होने का एकमात्र उपाय गुरुजनों की शरणागति ही है। भगवान श्री राम का जीवन चरित्र शिक्षा देता है कि गुरुजनों का अनुशीलन करने से जीवन मंगलमय बनता है। श्रीराम का गुरु विश्वामित्र के अनुगामी होने के परिणामस्वरूप ही शान्ति रूपी सीता उनका वरण करती हैं। साधु महापुरुषों का समागम प्राप्त होना ही संसार में परम लाभ है। क्योंकि संत-महात्माओं के जिस धरा पर चरण पड़े वह धरा एवं परिसर धन्य हुआ। उन्होंने कहा भारत वर्ष पुण्य भूमि है, यहीं से सम्पूर्ण विश्व को ज्ञान का प्रकाश प्राप्त हुआ है। यहाँ के साधना सम्पन्न ऋषि-मुनियों एवं अनेक संत महात्माओं ने अपने तप:पूत आचरण एवं उपदेशों से सम्पूर्ण मानव जाति को अनुप्राणित किया है। यही कारण है कि भारतीय संस्कृति विश्व की सर्वोत्कृष्ट संस्कृति मानी गई है। इस भारत भूमि पर स्वयं भगवान तथा उनकी विभूतियों ने अवतार लेकर समाज को कर्तव्य और अकर्तव्य का बोध कराया है।


