भिण्ड,पवन शर्मा
लंबित महत्वपूर्ण मांगों लेकर मुख्यमंत्री के नाम सौंपा ज्ञापन
भिण्ड। संयुक्त मोर्चा आईसीडीएस परियोजना अधिकारी संघ, पर्यवेक्षक संघ एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता/ सहायिका संघ मप्र के वैनर तले सोमवार को जिलेभर की परियोजना अधिकारी, पर्यवेक्षक एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता/ सहायिकाओं ने लंबित महत्वपूर्ण मांगों को अतिशीघ्र पूरा करने की मांग को लेकर किला गेट से रैली निकाली। तत्पश्चात कलेक्ट्रेट पहुंचकर वहां प्रदर्शन कर मुख्यमंत्री मप्र शासन के नाम तहसीलदार भिण्ड अरविन्द शर्मा को ज्ञापन सौंपा।
ज्ञापन में अवगत कराया गया है कि प्रदेश की परियोजना अधिकारियों एवं पर्यवेक्षकों की वेतन विसंगति एवं पदोन्नति संबंधी मांग विगत 25 वर्षों से शासन स्तर पर लंबित हैं, जिसका विभाग द्वारा कोई निराकरण नहीं किया गया है। जिससे प्रदेश की परियोजना अधिकारियों एवं पर्यवेक्षकों में बेहद निराशा एवं गंभीर आक्रोश है। इसलिए प्रदेश की परियोजना अधिकारियों एवं पर्यवेक्षकों ने अपनी मांगों के संबंध में शासन से निवेदन करने हेतु संयुक्त मोर्चा का गठन किया है।
परियोजना अधिकारी एवं पर्यवेक्षक संघ की लंबित मांगें हैं कि परियोजना अधिकारियों की ग्रेड-पे 3600 रुपए से बढ़ाकर 4800 रुपए की जाए, वर्तमान में देश के अन्य राज्यों में सबसे कम एवं विकासखण्ड स्तरीय समकक्ष अधिकारियों में सबसे कम ग्र्रेड-पे परियोजना अधिकारियों का है। पर्यवेक्षक का ग्रेड-पे 2400 रुपए से बढ़ाकर 9300-34800+3600 किया जाए, क्योंकि पूर्व के समकक्ष पदों का ग्रेड पे पर्यवेक्षकों के ग्रेड पेय से अधिक है। संविदा पर्यवेक्षकों को संविदा नियुक्ति दिनांक से ही नियमित वेतनमान एवं अन्य लाभ नियमित पर्यवेक्षकों की भांति प्रदान किए जाएं। परियोजना अधिकारियों को आहरण संवितरण अधिकार पुन: देकर विकेन्द्रीकरण किया जाए।
सन 2016 से आहरण संवितरण अधिकारों को बिना किसी औचित्य के केन्द्रीकरण कर जिला अधिकारियों को दिया गया है, इसे समाप्त कर पुन: परियोजना स्तर पर दिया जाए। देश के अन्य सभी राज्यों में परियोजना अधिकारियों को डीडीओ दिया गया है एवं भारत सरकार की गाइड लाइन में भी परियोजना अधिकारियों को डीडीओ देने का प्रावधान है। परियोजना अधिकारियों को सामान्य प्रशासन, पुलिस, वित्त विभाग की तरह चार स्तरीय (टाइम स्केल) दिया जाए।
पर्यवेक्षकों का नियमित प्रमोशन करके परियोजना अधिकारी के रिक्त पद भरे जाएं। परियोजना अधिकारी के पदों पर 30 प्रतिशत पद सीधी से एवं 70 प्रतिशत पद पदोन्नति से भरे जाएं। वर्तमान में विगत 35 वर्षों से अनेक पर्यवेक्षक एक ही पद पर पदस्थ हैं। पर्यवेक्षक को संपूर्ण सेवाकाल में कम से कम तीन प्रमोशन दिए जाएं। परियोजना अधिकारी के पद की अनुलपब्धता होने पर निर्धारित समय काल पूर्ण करने पर वरिष्ट पद का वेतनमान स्वीकृत किया जाए।
विकास खण्ड सशक्तिकरण अधिकारी के पद नाम से ‘प्रभारी’ शब्द हटाया जाए एवं विकास खण्ड सशक्तिकरण अधिकारी के 313 स्वीकृत पदों को समर्पित करके उतनी ही राशि से हर जिले में सहायक संचालक ट्रेनिंग का पद सृजित किया जाए, इससे शासन पर कोई भी वित्तीय भार नहीं आएगा एवं प्रमोशन चैनल खुलेगा। वर्ष 2014 के बाद के सभी बाल विकास परियोजना अधिकारियों की परिवीक्षा अवधि समाप्त की जाए। पर्यवेक्षकों को प्रतिमाह भ्रमण के आधार पर नियमित यात्रा भत्ता प्रदाय किया जाए।
इसके अलावा आंगनबाड़ी कार्यकर्ता/ मिनी कार्यकर्ता/ सहायिकाओं की मांग है कि भारत सरकार से समन्वय कर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं/ मिनी कार्यकर्ता/ सहायिका को नियमित किया जाए एवं उन्हें न्यूनतम वेतनमान दिया जाए। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को सेवानिवृत्त होने पर पांच लाख रुपए, मिनी कार्यकर्ता को तीन लाख एवं सहायिका को दो लाख रुपए प्रोत्साहन राशि दी जाए एवं सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार सेवानिवृत्ति होने पर गुजरात की तरह ग्रेच्यूटी का लाभ दिया जाए।
पद पर कार्यरत होने के उपरांत मृत्यू होने पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को पांच लाख रुपए, मिनी कार्यकर्ता को तीन लाख एवं सहायिका को दो लाख रुपए सहायता राशि दी जाए। पद पर कार्यरत होने के बावजूद मृत्यु होने पर उसके परिवार की बहू या बेटी के पात्र होने पर उसी पद पर अनुकंपा नियुक्ति दी जाए। शासन द्वारा पूर्व में घोषित 1500 रुपए अतिरिक्त मानदेय तत्काल दिया जाए। विभाग के पर्यवेक्षक के सभी पद आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को पदोन्नत कर अथवा विभागीय परीक्षा लेकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं/ सहायिकाओं से भरे जाएं।
मिनी आंगनबाड़ी केन्द्रों को पूर्ण आंगनबाड़ी केन्द्रों में परिवर्तित किया जाए एवं मिनी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को पूर्ण कार्यकर्ता की भांति समस्त लाभ दिए जाएं। उपरोक्त मांगों को पूरा करने के लिए परियोजना अधिकारी संघ, पर्यवेक्षक संघ एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता संघ द्वारा विगत वर्षों में विभागीय मंत्री, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव, प्रमुख सचिव महिला बाल विकास विभाग एवं आयुक्त को अनेक बार ज्ञापन दिए गए हैं, लेकिन किसी भी स्तर से उक्त मांगों को निराकृत नहीं किया गया है, जिससे तीनों कैडर के अधिकारियों/ कर्मचारियों में बेहद निराशा एवं असंतोष है। इसलिए उक्त मांगों को अतिशीघ्र पूरा किया जाए।