परानिधेश भारद्वाज,
भिण्ड। झारखंड सरकार द्वारा जैन धर्म के आस्था केंद्र श्री सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किए जाने की घोषणा के बाद देशभर के जैन समाज में आक्रोश व्याप्त है। जैन समाज द्वारा सम्मेद शिखर को पवित्र तीर्थ स्थल घोषित किए जाने की मांग लगातार की जा रही है। जिसके चलते जैन समाज बाहुल्य भिण्ड जिले में भी जैन समाज के द्वारा अपने प्रतिष्ठानों की बंद किये जाने के साथ ही जैन तीर्थ आचार्य के नेतृत्व में शहर भर में रैली निकाली गई जिसमें जैन तीर्थ आचार्य भी आंदोलन को समर्थन दे रहे हैं।

मध्यप्रदेश के भिण्ड में जैन मुनि प्रतीक सागर जी महाराज ने झारखंड सरकार द्वारा पवित्र सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल घोषित किए जाने के विरोध में निकाली गई रैली को समर्थन देते हुए उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार द्वारा जैन समाज के पवित्र तीर्थ स्तंभ को पर्यटन स्थल घोषित किया जाना बेहद ही दुर्भाग्यपूर्ण है, इस फैसले से देशभर का जैन समाज आंदोलित है। धार्मिक आस्था के केंद्र सम्मेद शिखर को पर्यटक स्थल घोषित करने के फैसले को वापस लेने के लिए जैन समाज लगातार आंदोलन कर रहा है।

दरअसल भारतवर्ष के जैन समुदाय के धार्मिक आस्था के पवित्र केंद्र सम्मेद शिखर को झारखंड सरकार द्वारा पर्यटक स्थल घोषित करने के बाद देशभर का जैन समाज आंदोलित हो रहा है। देशभर में झारखंड सरकार के इस फैसले के खिलाफ प्रदर्शन हो रहा है। इसी कड़ी में भिंड जिले में भी जैन समाज के पचास हज़ार महिला और पुरुष अपने प्रतिष्ठान बंद कर भिण्ड पहुँचे, जहां उन्होंने हाथो में विरोध की तख्तियाँ लेकर रैली निकाली और परेड चौराहे पर एकत्रित होकर मुनि प्रतीक सागर जी की अगुआई में सभा की और आंदोलन की रूपरेखा तैयार की गई।

भिंड प्रवास पर पहुंचे जैन मुनि प्रतीक सागर द्वारा जैन समाज की एक सभा को संबोधित किया और उसके पश्चात उन्होंने राष्ट्रपति के नाम ज़िला पंचायत सीईओ जेके जैन को ज्ञापन सौंपा।
जैन मुनि प्रतीक सागर का कहना है कि जैन समाज अहिंसा के लिए जाना जाता है। ऐसे में उसके प्रमुख तीर्थ झारखंड स्थित सम्मेद शिखर को पर्यटन तीर्थ तीर्थ स्थल घोषित किये जाने पर वहां मांस मदिरा और अंडे जैसी चीजों की बिक्री की जाएगी, जिसके चलते उनकी धार्मिक आस्था को चोट पहुंचेगी। उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार को अपने इस निर्णय को वापस लेना चाहिए, अन्यथा देश भर का जैन समाज लगातार वैचारिक आंदोलन करता रहेगा।
सुनिये क्या कहना है जैन मुनि प्रतीक सागर जी महाराज का-